जयपुर: अपने स्वाद व विशेष चमक के लिए देश-विदेश में मशहीर गंगानगरी (Gangnagri) किन्नू (Kinnow) अब विशेष ट्रेन के जरिये बांग्लादेश (Bangladesh) बिकने जाएगा. यहां के किन्नू से लदी पहली मालगाड़ी गुरुवार शाम को रवाना होगी. राजस्थान कि गंगानगर के स्टेशन अधीक्षक दिनेश त्यागी ने बताया कि गंगानगर से किन्नू लेकर 15 बोगी की विशेष ट्रेन (मालगाड़ी) गुरुवार शाम रवाना होगी. इसमें 345 टन किन्नू लदान होने की संभावना है. इस ट्रेन से किन्नू सीमावर्ती बनगांव स्टेशन पश्चिम बंगाल पर उतरेगा और वहां से ट्रकों के जरिये बांग्लादेश की मंडियों में पहुंचेगा. गौरतलब है कि किन्नू, नींबू वर्गीय संकर फल है और राजस्थान के गंगानगर इलाके में पैदा होने वाला किन्नू अपनी चमक, रंग व विशेष स्वाद की वजह से देश-दुनिया में अलग ही पहचान रखता है.
कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार, जिले में 11,174 हेक्टेयर में किन्नू की बागवानी है, जहां इस सीजन में 1,80,000 टन उत्पादन होने की उम्मीद है. किन्नू क्लब गंगानगर के अध्यक्ष राजकुमार जैन ने रेलवे की इस पहल का स्वागत करते हुए कहा कि यह किन्नू की बागवानी व व्यापार से जुड़े सभी लोगों के लिए अच्छी खबर है. उन्होंने कहा कि इससे यहां के किन्नू की बाहरी इलाकों में जल्द पहुंच व उपलब्धता सुनिश्चित होगी. साथ ही भाड़ा मद में खर्च भी घटेगा.
किन्नू की ढुलाई के लिए विशेष ट्रेन चलाने की मांग लंबे समय से उठा रहे उत्तर-पश्चिम रेलवे की जोनल रेलवे उपयोगकर्ता परामर्श समिति के सदस्य विजेंद्र पाल सिंह ने कहा कि आमतौर पर किन्नू ट्रकों के जरिये बांग्लादेश जाता था, जिसे पहुंचने में 5-6 दिन लगते थे और किराया भी बहुत ज्यादा था. वहीं ट्रेन से यह किन्नू लगभग 42 घंटे में गंतव्य पर पहुंच जाएगा और रेलवे ने किराये में विशेष छूट देकर व्यापारियों को और अधिक राहत दी है. इसलिए यह किन्नू उत्पादकों, व्यापारियों सभी के लिए फायदे का सौदा होगा. रेलवे के अधिकारियों ने बताया कि किन्नू की ढुलाई के लिए विशेष ‘वेंटिलेशन’ वाली बोगी उपलब्ध करवाई गई है ताकि फल को नुकसान न हो. अधिकारियों को उम्मीद है कि इस पहल के सफल रहने पर और जगहों के लिए इस तरह की ट्रेन की बुकिंग होगी.
गंगानगरी किन्नू विदेशों में श्रीलंका, नेपाल, बांग्लादेश व ऑस्ट्रेलिया तक, तो देश में मुंबई से लेकर पुणे, कोयम्बूटर, बेंगलुरु, चेन्नई, पटना, कोलकाता, विशाखापट्टनम तथा हैदराबाद तक बिकने जाता है. गंगानगर इलाके की माटी की तासीर व मौसम इस फल के उत्पादन के लिए अनुकूल माना जाता है. इलाके में किन्नू के बागों के साथ-साथ इसकी ग्रेडिंग वेक्सिंग व पैकिंग की दो दर्जन इकाइयां लगी हुई हैं.